सीमावर्ती क्षेत्रों में जीरा उत्पादकों द्वारा स्टॉक की बिक्री बढ़ाने का प्रयास
09-May-2025 06:03 PM

राजकोट। गुजरात और राजस्थान जैसे शीर्ष उत्पादक प्रांतों के किसान अपने जीरे के स्टॉक की बिक्री बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि पाकिस्तानी सीमा से सटे क्षेत्रों में खतरा बना हुआ है।
हालांकि भारत ने पाकिस्तान से होने वाले आक्रमण को काफी हद तक विफल कर दिया लेकिन खतरे की आशंका अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है।
जैसमलेर और बाड़मेर तथा कच्छ एवं पूंज में पाकिस्तान का अटैक हो सकता है इसलिए वहां शाम 5 बजे के बाद मंडियों एवं बाजारों को बंद करने का निर्देश दिया गया है।
पड़ोसी देश पाकिस्तान से हमला होने की आशंका से गुजरात की ऊंझा मंडी में जीरा की औसत दैनिक आवक घटकर 8-10 हजार बोरी पर सिमट गई है जबकि मार्च के अंतिम सप्ताह में यह 70-72 हजार बोरी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी।
अब उत्पादक अपने स्टॉक की बिक्री बढ़ाने के इच्छुक तो है मगर उन्हें इसमें कठिनाई हो रही है। सीमा पर तनाव न केवल बरकरार है बल्कि लगातार बढ़ता भी जा रहा है। ड्रोन एवं मिसाइलों के हमले के बीच कारोबार करना मुश्किल होता जा रहा है।
गुजरात में 2024-25 के सीजन में जीरा का बिजाई क्षेत्र घटकर 4.77 लाख हेक्टेयर रह गया था जो 2023-24 सीजन के क्षेत्रफल से 15 प्रतिशत कम रहा। राजस्थान में भी बिजाई कुछ कम हुई।
2023-24 में जीरा के रकबे में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हुई थी क्योंकि उससे पूर्व इसका थोक मंडी भाव उछलकर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। बाद में यह घटकर काफी नीचे या सामान्य स्तर पर आ गया इसलिए किसानों को 2024-25 में इसका रकबा बढ़ाने का प्रोत्साहन नहीं मिला।
तुर्की, सीरिया, ईरान, अफगानिस्तान एवं चीन में जीरे का नया माल आने में अभी कुछ देर है। विदेशी आयातक भारतीय जीरे की खरीद में अच्छी दिलचस्पी दिखा रहे हैं जिससे घरेलू बाजार में इसका भाव कुछ हद तक मजबूत बना हुआ है।
चीन के खरीदार नई खरीद करने से पहले भारतीय जीरे की कीमत में नरमी आने का इंतजार कर रहे थे। मार्च-अप्रैल में जीरा की नई फसल की जोरदार कटाई-तैयारी हुई और अब उत्पादकों एवं स्टॉकिस्टों के पास इसका अच्छा खासा स्टॉक मौजूद है।