मानसून की निष्क्रियता से बारिश में भारी कमी
10-Jun-2025 01:01 PM

नई दिल्ली। मई के अंतिम सप्ताह में जोरदार सक्रियता दिखाने के बाद दक्षिण पश्चिम मानसून जून में काफी हद तक निष्क्रिय हो गया। इसके फलस्वरूप चालू माह (जून) के प्रथम सप्ताह के दौरान बारिश में करीब 25 प्रतिशत की गिरावट आ गई। मौसम विभाग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 1 से 8 जून के बीच देश में 20.4 मि०मी० वर्षा हुई जो 27.2 मि०मी० के सामान्य औसत स्तर से करीब 25 प्रतिशत कम रही।
दक्षिण-पश्चिम मानसून 29 मई से ही महाराष्ट्र के कुछ भागों एवं उत्तरी बंगाल केऊपर ठहरा हुआ है। अब दक्षिण भारत में इसका दूसरा सक्रिय चरण आरंभ होने वाला है।
मौसम विभाग के अनुसार 12 से 15 मई के दौरान कर्नाटक, कोंकण एवं गोवा में भारी बारिश और कहीं-कहीं अत्यन्त मूसलाधार वर्षा होने की संभावना है।
चालू मानसून सीजन के दौरान देश के प्रमुख कृषि उत्पादक राज्यों में सही समय पर अच्छी बारिश होना आवश्यक है ताकि चावल, दलहन एवं तिलहन फसलों का बेहतर उत्पादन हो सके और खाद्य महंगाई को नियंत्रित रखने में सरकार को सहायता प्राप्त हो सके।
29 मई 2025 को देशभर के प्रमुख बांधों- जलाशयों में भंडारण क्षमता के सापेक्ष 30 प्रतिशत पानी का भंडार मौजूद था जो गत वर्ष की समान अवधि के स्तर 23 प्रतिशत तथा दस वर्षीय औसत स्तर 25 प्रतिशत से ज्यादा होने के बावजूद सुविधाजनक नहीं था।
उम्मीद की जा रही थी कि मानसून की भरपूर बारिश होने से जलाशयों में पानी का स्टॉक बढ़ेगा। लेकिन स्वयं मानसून ही सुस्त पड़ गया है।
मई माह के दौरान देश के कुछ इलाकों में सामान्य से ज्यादा (अधिशेष) वर्षा होने के कारण सब्जियों की फसल को नुकसान हुआ लेकिन खरीफ फसलों की बिजाई में सहायता भी मिली। महाराष्ट्र में प्याज तथा टमाटर की फसल क्षतिग्रस्त होने की सूचना है जिससे इसका मंडी भाव तेज हो गया।
मानसून में ठहराव आने से देश के विभिन्न राज्यों में नियत समय से पूर्व इसके पहुंचने की संभावना क्षीण पड़ गई है। इससे खासकर उत्तरी, मध्यवर्ती एवं पश्चिमोत्तर भारत में विभिन्न खरीफ फसलों की बिजाई पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
ऐसा प्रतीत होता है कि मौसम विभाग की भविष्यवाणी के विपरीत जून में मानसून की बारिश कम या बेतरतीब हो सकती है क्योंकि इसके सक्रिय होने में समय लगेगा। लेकिन सर्वाधिक वर्षा वाले माह-जुलाई में मूसलाधार बारिश होने के प्रबल आसार हैं।