हल्दी के निर्यात में भारत के लिए मौजूद है कई चुनौतियां
15-Jan-2025 12:44 PM
निजामाबाद । हालांकि हल्दी के अंतर्राष्ट्रीय निर्यात बाजार पर 62 प्रतिशत से अधिक योगदान के साथ भारत का वर्चस्व बरकरार है और दुनिया के अनेक देश उसकी खरीद करने में भारी दिलचस्पी दिखाते हैं लेकिन इस शानदार सफलता एवं उपलब्धि को बरकरार रखने के रास्ते में भारत के समक्ष कई चुनौतियां एवं बाधाएं मौजूद हैं जिसे दूर किया जाना जरुरी है।
कुछ महत्वपूर्ण निर्यात बाजारों में अक्सर गुणवत्ता के आधार पर भारतीय हल्दी की खेप को अस्वीकार कर दिया जाता है। इधर घरेलू प्रभाग में हल्दी के दाम में भारी उतार-चढ़ाव आने से उत्पादकों की आमदनी प्रभावित होती है और इस सुनहरे मसाले (गोल्डन स्पाइस) के उत्पादन के प्रति उसका उत्साह एवं आकर्षण घट जाता है।
इसके अलावा हल्दी की क्वालिटी भी कई बार कमजोर रहती है जिससे उसका निर्यात करना मुश्किल हो जाता है।
केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री ने उम्मीद जताई है कि नेशनल टर्मरिक बोर्ड (एनटीबी) की हाल ही में हुई स्थापना से भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हल्दी के नए-नए बाजारों तक पहुंचने में सहायता मिलेगी।
यह बोर्ड देश से हल्दी का निर्यात बढ़ाने तथा देश के अंदर हल्दी की पैदावार एवं क्वालिटी सुधारने में भरपूर मदद करेगा।
इसके फलस्वरूप भारत में अगले पांच वर्षों में हल्दी का सालाना उत्पादन बढ़ाकर 20 लाख टन के करीब पहुंचाना संभव हो सकेगा।
अक्टूबर 2024 में राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के गठन की अधिसूचना जारी हुई थी और अब इसे मूर्त रूप दे दिया गया है। इसका मुख्यालय तेलंगाना के निजामाबाद में होगा जो हल्दी के कारोबार का एक प्रमुख केन्द्र है।
यह बोर्ड देश में हल्दी क्षेत्र के विकास-विस्तार तथा इसके निर्यात संवर्धन पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित करेगा। उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया में हल्दी का सबसे प्रमुख उत्पादक, उपभोक्ता तथा निर्यातक देश है।
वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश में करीब 3.20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हल्दी की खेती हुई थी और 11.60 लाख टन का उत्पादन हुआ था।