घरेलू एवं निर्यात मांग मजबूत रहने से जीरा के दाम में सुधार
04-Apr-2025 08:25 PM

मुम्बई। जीरा की घरेलू मांग मजबूत बनी हुई है और खाड़ी क्षेत्र के देशों तथा यूरोप के आयातक भी इसकी खरीद में सक्रियता दिखा रहे हैं। उसके फलस्वरूप जीरा का हाजिर एवं वायदा भाव सुधरने लगा है।
जीरा का वायदा मूल्य पिछले दिन 3.52 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 22,960 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। दरअसल राजस्थान में जीरे की सीमित आवक हो रही है और गुजरात में नई फसल की कटाई-तैयारी देर से शुरु हुई। निकट भविष्य में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति कुछ हद तक जटिल रहने की संभावना है।
गुजरात और राजस्थान जैसे शीर्ष उत्पादक प्रांतों में 2024-25 सीजन के दौरान जीरा की बिजाई करीब एक माह देर से आरंभ हुई थी लेकिन लेट बिजाई के बावजूद फसल की हालत अच्छी बनी रही जिससे इसका कुल उत्पादन 2023-24 सीजन के लगभग बराबर ही होने की उम्मीद है।
मसाला बोर्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि 2022-23 के सीजन में जीरा का घरेलू बिजाई क्षेत्र 9.37 लाख हेक्टेयर रहा था जो 2023-24 के सीजन में उछलकर 11.87 लाख हेक्टेयर हो गया।
इसी तरह समीक्षाधीन सीजन के दौरान जीरा का उत्पादन भी 5.77 लाख टन से बढ़कर 8.60 लाख टन पर पहुंच गया। 2024-25 सीजन के उत्पादन अनुमान का अभी इंतजार है मगर ऐसा लगता है कि पैदावार की स्थिति सामान्य रह सकती है।
हालांकि उत्पादकों के पास अब भी लगभग 20 लाख बोरी जीरा का स्टॉक बचा हुआ है लेकिन सीजन के अंत तक इसका कारोबार 3-4 लाख बोरी के आसपास सिमट सकता है जिससे करीब 16 लाख बोरी का अधिशेष स्टॉक बचने की संभावना है।
जीरा के वैश्विक निर्यात बाजार पर अभी भारत का वर्चस्व बना हुआ है क्योंकि एक तो तुर्की एवं सीरिया सहित अन्य आपूर्तिकर्ता देशों के पास बहुत कम स्टॉक बचा हुआ है और दूसरे, उसका भाव भी काफी ऊंचा चल रहा है। उसके मुकाबले भारतीय जीरा का दाम आकर्षक स्तर पर है।
भारतीय जीरा का निर्यात ऑफर मूल्य फिलहाल 3050 डॉलर प्रति टन चल रहा है जो चीन के जीरा से करीब 200-250 डॉलर कम है।
इसके फलस्वरूप चीन के आयातक भी भारतीय जीरे की खरीद में अच्छी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। जीरा का निर्यात प्रदर्शन उत्साहवर्धक है।
अप्रैल-दिसम्बर 2024 के नौ महीनों के शिपमेंट से करीब 71 प्रतिशत अधिक रहा। दिसम्बर 2024 में जीरा का निर्यात नवम्बर से 56.45 प्रतिशत तथा दिसम्बर 2023 से 47.77 प्रतिशत अधिक हुआ।