गेहूं पर स्टॉक लिमिट से बात नहीं बनी तो उदार आयात नीति संभव

25-Jun-2024 06:17 PM

नई दिल्ली । गेहूं पर वर्ष 2018 से ही 44 प्रतिशत का आयात शुल्क लागू है जिसे अभी तक हटाने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई। हालांकि पिछले साल इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का भाव काफी ऊंचा एवं तेज रहा था मगर सरकार ने अपने स्टॉक की बिक्री करके बाजार को स्थिर रखने का प्रयास किया।

इससे पूर्व वर्ष 2022 में जब गेहूं एवं इसके उत्पादों की कीमतों में जोरदार तेजी आने के संकेत मिलने लगे तब सरकार ने इसके व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

पिछले साल फ्लोर मिलर्स एवं प्रोसेसर्स ने गेहूं के शुल्क मुक्त आयात की स्वीकृति देने का सरकार से अनुरोध किया था और कुछ समय के लिए ऐसा लगा कि सरकार शायद इस आग्रह को स्वीकार कर लेगी लेकिन बाद में अपने अपना इरादा बदल दिया। अब पुनः इसकी मांग उठ रही है और उम्मीद की जा रही है कि सरकार इसे स्वीकार कर लेगी। 

कुछ सरकारी अधिकारियों का कहना है कि विदेशों से गेहूं के आयात का विकल्प हुआ है मगर इस सम्बन्ध में अंतिम निर्णय तभी लिया जाएगा जब उसकी सख्त आवश्यकता महसूस होगी। यह भी कहा जा रहा है कि गेहूं का आयात एक निश्चित मात्रा में करने की मंजूरी दी जा सकती है।

यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि गेहूं के आयात पर प्रयत्क्ष रूप से कोई प्रतिबंध नहीं लगा हुआ है मगर 44 प्रतिशत का भारी - भरकम सीमा शुल्क इसके आयात को अनाकर्षक या गैर लाभप्रद बना रहा है। 

लेकिन समीक्षकों का कहना है कि सीमा शुल्क को घटाने या हटाने का निर्णय लेने से पूर्व सरकार अपने तरकश के सभी तीरों का उपयोग करना चाहेगी।

भंडारण सीमा के साथ इसकी शुरुआत हो चुकी है जबकि खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) को दोबारा आरंभ करना दूसरा कदम हो सकता है।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना एवं अन्य कल्याणकारी स्कीमों में गेहूं का आवंटन घटना भी एक उपाय हो सकता है। जब इन उपायों से बात नहीं बनेगी और बाजार भाव ऊंचे स्तर पर बरकरार रहेगा तब गेहूं के शुल्क मुक्त आयात की स्वीकृति देने पर गम्भीरतापूर्वक विचार किया जा सकता है।