विशाल आयात की वजह से रूई की उपलब्धता बढ़ने की उम्मीद

12-Nov-2025 05:08 PM

अहमदाबाद। हालांकि एक अग्रणी व्यापारिक संस्था- कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) ने अत्यधिक वर्षा, बाढ़ एवं जल जमाव तथा मोंथा तूफान आदि के प्रकोप से कपास का घरेलू उत्पादन 2025-26 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन में घटकर 305 लाख गांठ (170 किलो की प्रत्येक गांठ) पर अटक जाने का अनुमान लगाया है

जो 2024-25 सीजन के समीक्षित उत्पादन 312 लाख गांठ से करीब 2 प्रतिशत या 7 लाख गांठ कम है लेकिन उसका कहना है कि विदेशों से विशाल मात्रा में आयात होने के कारण इसकी कुल उपलब्धता में बढ़ोत्तरी हो जाएगी। 

एसोसिएशन के अनुसार सरकार ने 31 दिसम्बर 2025 तक रूई के आयात को सीमा शुल्क से मुक्त कर दिया है जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसका भाव घटकर काफी नीचे आ गया है।

भारतीय टेक्सटाइल उद्योग इस अनुकूल स्थिति का भारी लाभ उठाने का प्रयास कर रहा है। अक्टूबर से दिसम्बर 2025 की तिमाही के दौरान देश में रूई का आयात 30 लाख गांठ तक पहुंचने की संभावना है जबकि 2025-26 के सम्पूर्ण मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) में कुल आयात बढ़कर 45 लाख गांठ तक पहुंच जाने का अनुमान है जो 2024-25 सीजन के सकल आयात 41 लाख गांठ से भी 4 लाख गांठ या 10 प्रतिशत अधिक होगा।

कपास का बिजाई क्षेत्र 2024 के मुकाबले 2025 के खरीफ सीजन में 2.6 प्रतिशत घटकर 110 लाख हेक्टेयर के करीब रह गया।

इसके बावजूद पहले चालू सीजन में कपास का उत्पादन बढ़कर 330-340 लाख गांठ पर पहुंचने की उम्मीद व्यक्त की जा रही थी लेकिन विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं से प्रमुख उत्पादक राज्यों में फसल को हुए भारी नुकसान को देखते हुए अब उत्पादन पिछले सीजन से भी कम होने का अनुमान लगाया जा रहा है। 

एसोसिएशन के मुताबिक उत्तरी क्षेत्र में कपास का उत्पादन करीब 20 लाख गांठ बढ़कर 30.50 लाख गांठ पर पहुंच सकता है मगर गुजरात और महाराष्ट्र जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों में पैदावार घटने की संभावना है। मध्य प्रदेश के उत्पादन में ज्यादा बदलाव नहीं होगा।

दक्षिण भारत में कपास का उत्पादन 1 लाख गांठ एवं आंध्र प्रदेश में 4 लाख गांठ बढ़ने के आसार हैं मगर तेलंगाना में उत्पादन गत वर्ष के 48.75 लाख गांठ से घटकर इस बार 43 लाख गांठ रह जाने की संभावना है।