केवल कमजोर भाव से हो सकता है रबी फसलों की बिजाई प्रभावित
14-Nov-2025 04:33 PM
नई दिल्ली। आमतौर पर रबी फसलों की खेती के लिए मौसम एवं जलवायु की स्थिति काफी हद तक अनुकूल बनी हुई है और प्रमुख फसलों की बिजाई में किसान भारी दिलचस्पी भी दिखा रहे हैं जिससे गेहूं, जौ चना एवं सरसों आदि के बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हो रही है।
केवल कमजोर बाजार मूल्य ही एक मात्र ऐसा कारण है जो बिजाई के प्रति किसानों की धारणा या सक्रियता को आंशिक रूप से प्रभावित कर सकता है।
हालांकि तिलहन फसलों में सरसों का थोक मंडी भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी ऊंचा होने के कारण किसानों को आकर्षक आमदनी प्राप्त हो रही है
और इसलिए इसके बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है लेकिन अन्य तिलहनों के साथ-साथ दलहन फसलों का दाम एमएसपी के आसपास ही देखा जा रहा है।
अक्टूबर से दिसम्बर-जनवरी तक चलने वाले मौजूदा रबी सीजन में विभिन्न फसलों की बिजाई तेज रफ्तार के साथ शुरू हुई है।
किसानों के लिए रासायनिक उर्वरकों के पर्याप्त स्टॉक का प्रबंध किया गया है मौसम की हालत अनुकूल बनी हुई है और खेतों की मिटटी में नमी का पर्याप्त अंश मौजूद है।
हालांकि दक्षिण -पश्चिम मानसून अनेक राज्यों में काफी उग्र रहा था और वहां अत्यन्त मूसलाधार बारिश होने से खरीफ फसलों को नुकसान भी हुआ था मगर उसके बाद मौसम साफ हो गया और जाड़े का मौसम भी जल्दी आ गया।
गेहूं, चना और सरसों की खेती के प्रति किसानों में अच्छा उत्साह देखा जा रहा है। गेहूं का एमएसपी 160 रुपए बढ़ाकर 2585 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है जिससे किसान खुश हैं।
इसका क्षेत्रफल सुधरने के आसार हैं। बांधों-जलाशयों में पानी का समुचित भंडार उपलब्ध है जिससे सिंचाई में कोई बाधा नहीं पड़ेगी।
पीली मटर पर 30 प्रतिशत का आयात शुल्क लगने से चना की बिजाई बढ़ने की उम्मीद है। सरकार को रबी फसलों की खरीद सही समय पर आरंभ करने पर ध्यान देना होगा।
