गन्ना की कमी के कारण समय से पूर्व ही बंद होने लगी चीनी मिलें

12-Feb-2025 01:29 PM

मुम्बई । भारत के अग्रणी गन्ना उत्पादक राज्यों में पिछले सप्ताह तीन दर्जन से अधिक चीनी मिलें बंद हो गईं क्योंकि उसे समुचित मात्रा में कच्चा माल प्राप्त नहीं हो रहा था। समय से करीब दो माह पूर्व ही इन इकाइयों में काम काज बंद होने से चीनी के घरेलू उत्पादन में भारी गिरावट आने की संभावना बनी हुई है। 

उद्योग समीक्षकों के अनुसार महाराष्ट्र एवं कर्नाटक जैसे राज्यों में मौसम प्रतिकूल होने तथा उत्तर प्रदेश में फसल पर कीड़ों-रोगों का प्रकोप बढ़ने से गन्ना की पैदावार में कमी आई है और चीनी की औसत रिकवरी दर भी नीचे देखी जा रही है। ऐसा लगता है कि देश में चीनी उत्पादन घटकर पूर्व अनुमान से भी नीचे आ सकता है।

उत्पादन घटने की आशंका से चीनी का भाव ऊंचा एवं मजबूत हो गया है और निकट भविष्य में इसमें नरमी आने की संभावना नहीं है। निर्यात उद्देश्य के लिए भी भारतीय मिलर्स चीनी के निर्यातकों से ऊंचा दाम मांग रहे हैं।

ज्ञात हो कि सरकार ने उद्योग को 10 लाख टन चीनी के निर्यात की स्वीकृति प्रदान की है। ऊंचे दाम पर ज्यादा करार नहीं होने के कारण भारत से चीनी के निर्यात की गति धीमी चल रही है। इससे वैश्विक बाजार भाव तेज हो सकता है। 

उद्योग विश्लेषकों के अनुसार महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं उत्तर प्रदेश में कम से कम 37 चीनी मिलों में गन्ना की क्रशिंग बंद हो गई है जबकि पिछले साल की इसी अवधि में केवल 11 इकाइयां बंद हुई थीं।

वेस्टर्न इंडिया शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि पिछले साल के भयंकर सूखे की वजह से गन्ना की उपज दर बुरी तरह प्रभावित हुई।

अनेक जिलों में गन्ना की आपूर्ति ठप्प पड़ गई। जिससे मिलों को अपनी गतिविधियां बंद करने के लिए विवश होना पड़ रहा है। 

इसके अलावा महाराष्ट्र की कई अन्य इकाइयों को समुचित मात्रा में गन्ना प्राप्त करने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ रहा है। अगले कुछ दिनों में कुछ और मिलें बंद हो सकती हैं। कई प्लांट अपनी आधी क्षमता से ही चल रहे हैं।

फरवरी के अंत तक उसके बंद हो जाने की संभावना है। इस्मा ने 2024-25 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) में चीनी का घरेलू उत्पादन घटकर 272.70 लाख टन पर अटकने का अनुमान लगाया है जबकि अन्य उद्योग-व्यापार संगठन का उत्पादन अनुमान 265-270 लाख टन के बीच है।