आई ग्रेन इंडिया एक्सक्लूसिव: इथेनॉल पर चावल, चीनी और मक्का के बीच जंग
14-Nov-2025 02:54 PM
आई ग्रेन इंडिया एक्सक्लूसिव: इथेनॉल पर चावल, चीनी और मक्का के बीच जंग
सरकार द्वारा इथेनॉल के लिए चावल का आवंटन
★ भारत सरकार ने अगले दो वर्षों के लिए प्रति वर्ष 24 लाख टन चावल इथेनॉल उत्पादन हेतु आवंटित किया है। इस सीज़न में डिस्टिलरी को दिए जाने वाले ★ चावल का रिज़र्व सेल प्राइस (RSP) ₹2250 प्रति क्विंटल से बढ़ाकर ₹2320 प्रति क्विंटल किया गया है, जो MSP वृद्धि के अनुरूप है। यह दर अधिकतम 52 लाख टन चावल पर लागू होगी।
★ सरकार के नियम के अनुसार, ग्रेन-बेस्ड इथेनॉल का 40% हिस्सा FCI राइस से आना अनिवार्य है। अब तक लगभग 32 लाख टन एफसीआई चावल इथेनॉल बनाने में इस्तेमाल हो चुका है।
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कॉर्न आधारित इथेनॉल
★ OMC कंपनियों ने लगभग 4.8 बिलियन लीटर कॉर्न-बेस्ड इथेनॉल का बड़ा ऑर्डर दिया है, जिसके लिए 140 से 150 लाख टन मक्का की आवश्यकता होती है।
★ पिछले वर्ष मक्का उत्पादन 380 लाख टन था, जिसमें से 130 से 140 लाख टन इथेनॉल में गया। इस वर्ष उत्पादन में 40 से 50 लाख टन बढ़ोतरी होकर 440 लाख टन पहुंचने की उम्मीद है।
★ भारत में मक्का का प्रत्यक्ष मानव उपभोग काफी कम है। पहले 60 प्रतिशत मक्का पोल्ट्री व पशु-चारा उद्योग में जाता था, परंतु अब इथेनॉल की बढ़ती मांग के कारण इसमें गिरावट आई है।
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इथेनॉल उत्पादन की अर्थव्यवस्था: चावल, मक्का और शक्कर
1. मक्का (12 प्रतिशत नमी)
★ 1 टन मक्का से लगभग 380 लीटर इथेनॉल मिलता है।
★ इथेनॉल मूल्य: ₹71.86 प्रति लीटर।
2. FCI चावल
★ 1 टन चावल से लगभग 450 लीटर इथेनॉल।
★ 2025–26 के लिए इथेनॉल मूल्य: ₹60.32 प्रति लीटर (पिछले वर्ष ₹58.50)।
3. शक्कर (गन्ना, मोलासेस, जूस)
★ गन्ने का FRP ₹305 से बढ़कर ₹355 (2025–26) हो गया है, यानी 16.5 प्रतिशत वृद्धि।
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ISMA के अनुसार न्यूनतम लागत:
★ B-मोलासेस इथेनॉल लागत: ₹66.09 प्रति लीटर
★ जूस आधारित इथेनॉल लागत: ₹70.70 प्रति लीटर
★ वर्तमान कीमतें: B-मोलासेस: ₹60.73 प्रति लीटर और जूस: ₹65.61 प्रति लीटर
★ ISMA ने सरकार से कीमतें बढ़ाकर B-मोलासेस: ₹70.65 प्रति लीटर और जूस: ₹76.33 प्रति लीटर करने की मांग की है।
★ शक्कर उद्योग दबाव में है क्योंकि इथेनॉल क्षमता बढ़ाने में 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया था (NITI Aayog रोडमैप 2021 के अनुसार)।
★ 2019–20 में इथेनॉल में शुगर इंडस्ट्री की हिस्सेदारी 91 प्रतिशत थी, जो 2025–26 में घटकर 28 प्रतिशत रह गई है।
★ अब चावल को छोड़कर मक्का और शक्कर उद्योग सरकार से अधिक आवंटन और समर्थन मांग रहे हैं।
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मक्का की कीमतों पर प्रभाव
★ पहले इथेनॉल केवल शुगर सेक्टर से बनाया जाता था। पिछले साल शक्कर, गन्ना और मोलासेस से इथेनॉल बनाने पर प्रतिबंध लगा, जिससे मक्का की मांग तेज़ी से बढ़ी। अब यह प्रतिबंध हटा दिया गया है और फिर से शक्कर-आधारित इथेनॉल की अनुमति है।
★ स्थिति पूरी तरह बदल गई जब FCI चावल को इथेनॉल के लिए बड़ी मात्रा में उपयोग करना शुरू किया गया।
★ चावल, गन्ना जूस और मोलासेस से इथेनॉल बनने पर मक्का की कुल मांग घट गई। इसके कारण बाजार में मक्का की कीमतों पर दबाव बढ़ गया।
★ चावल उद्योग पर कोई प्रभाव नहीं क्योंकि उन्हें FCI से सब्सिडाइज्ड दरों पर चावल मिल रहा है, निजी बाजार से नहीं।
